गजल
पहिल भेतमा तुहिन मन पराई लग्नु छैला
भेत करना बहाना छेग्री चराई लग्नु छैला
खुब माया लागथ होई काजे छैला तुहार
महि सपना किल देखैबो डराई लग्नु छैला
कबु कहाँ भेटा बलैठो कबु कहाँ कासमझु
ओहाटा मै तुहिनसे अब लजाई लग्नु छैला
नुक नुक कैदिन चली हमार चाल खैल हा
कबु नै छुत्ना माया प्रेम बझाई लग्नु छैला
हमारफे दहित व कुश्मी के जोरी सुहाजाई
तबटा कजरारी आँखिसे फसाई लग्नु छैला
🖊️.......लेखक
सुशील दहित
पहिल भेतमा तुहिन मन पराई लग्नु छैला
भेत करना बहाना छेग्री चराई लग्नु छैला
खुब माया लागथ होई काजे छैला तुहार
महि सपना किल देखैबो डराई लग्नु छैला
कबु कहाँ भेटा बलैठो कबु कहाँ कासमझु
ओहाटा मै तुहिनसे अब लजाई लग्नु छैला
नुक नुक कैदिन चली हमार चाल खैल हा
कबु नै छुत्ना माया प्रेम बझाई लग्नु छैला
हमारफे दहित व कुश्मी के जोरी सुहाजाई
तबटा कजरारी आँखिसे फसाई लग्नु छैला
🖊️.......लेखक
सुशील दहित